आर्थोपेडिक इंप्लांट व नेल्स का टेंडर नहीं होने से डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के महात्मा गांधी अस्पताल व एमडीएमएच में इनकी कमी हो गई है। इससे मरीज के साथ डाॅक्टर भी परेशान हो रहे हैं। दरअसल एमडीएम अस्पताल प्रशासन ने आर्थोपेडिक इंप्लांट के लिए टेंडर निकाला, जिसमें छह फर्मों ने भाग लिया, लेकिन टेंडर कमेटी ने सभी फर्मों को अयोग्य बताकर टेंडर निरस्त कर दिया। जबकि टेंडर फर्म कमेटी पर आरोप लगा रही है कि कमेटी किसी एक फर्म को ही टेंडर देना चाहती है, जिसके चलते टेंडर को निरस्त किया है। टेंडर में भाग लेने वाली फर्म ने यह भी आरोप लगाया कि किसी व्यक्ति विशेष को कमेटी ने फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तें ऐसी रखी कि कई फर्म तो उसमें भाग ही नहीं ले पाई। टेंडर की एक शर्त तो ऐसी थी कि टेंडर खुलने पर फर्म को चार घंटे में इंप्लांट पहुंचाना होगा, फर्म का स्थानीय स्टॉक होना चाहिए।
टेंडर में भाग लेने वाली फर्म जो ऐसी शर्तों के चलते भाग नहीं ले पाई, उसमें से एक ने कोर्ट में भी अपील की। इसके बाद कोर्ट ने पहले मेडिकल कॉलेज प्रिसिंपल के समक्ष अपील करने को कहा। फर्म ने प्रिंसिपल को अपील की तो अपील के अनुसार फीस जमा नहीं कराने का कारण बता प्रिंसिपल ने अपील खारिज कर दी। इसके बाद अपील करने वाली फर्मों ने दूसरी अपील हेल्थ सचिव को की। इस पर प्रिंसिपल और फर्म को तलब किया गया। जानकारी के अनुसार सोमवार को जयपुर में स्वास्थ्य सचिव ने अपील की सुनवाई करते हुए टेंडर निरस्त होने के चलते फर्म की अपील खारिज कर दी। साथ ही अस्पताल अधीक्षक को सिस्टम से काम करने और सही से टेंडर करने की नसीहत दी। इसके अलावा ओटी में सीधे इंप्लांट जाने की परंपरा को बंद कर स्टोर से इंप्लांट ओटी में भेजने की व्यवस्था करने, साथ ही चार घंटे की शर्त को हटाकर पहले की तरह खरीदकर रखने को भी कहा। इस पर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने व्यवस्था सही करने का आश्वासन दिया।
आर्थोपेडिक इंप्लांट व नेल्स के टेंडर में सभी फर्मों को अयोग्य बता ठेका किया निरस्त, फर्माें ने की स्वास्थ्य सचिव काे अपील